माननीय राज्यपाल बिहार, श्री आरिफ मोहम्मद खान ने IIAS, शिमला में "गुरु परंपरा और भारतीय ज्ञान परंपरा" विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया*
शिमला, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला द्वारा आज "गुरु परंपरा और भारतीय ज्ञान परंपरा" विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान थे।
अपने प्रेरणादायक उद्घाटन संबोधन में श्री आरिफ मोहम्मद खान ने भारत की समृद्ध आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर बल देते हुए गुरु-शिष्य परंपरा की कालजयी प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भों एवं व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से समझाया कि भारत की प्राचीन शैक्षिक परंपरा ज्ञान को पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित एवं प्रचारित करने में निरंतर सफल रही है। उन्होंने कहा, "हमारी गुरु-शिष्य परंपरा मात्र एक ऐतिहासिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवंत अभ्यास है जो नैतिक जीवन और आध्यात्मिक जागरूकता की ओर मार्गदर्शन करती है।" माननीय राज्यपाल ने समग्र शिक्षा के महत्त्व पर भी जोर दिया और प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में भारत की आध्यात्मिक शिक्षाओं से प्रेरणा लें।
सत्र का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जो ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने का प्रतीक है।
संस्थान के निदेशक प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी ने वर्चुअल माध्यम से स्वागत उद्बोधन दिया, जिसमें पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के पुनरावलोकन एवं पुनर्जीवन पर जोर देते हुए सभी प्रतिभागियों एवं वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी संयोजक प्रो. के. गोपीनाथन पिल्लै ने विषय की भूमिका स्पष्ट करते हुए गुरु-शिष्य परंपरा के सांस्कृतिक और दार्शनिक योगदानों पर प्रकाश डाला।
प्रमुख वक्ता पूज्य स्वामी परमानंद सरस्वती, संस्थापक आचार्य, अर्श विद्या मंदिर, राजकोट ने अपने संबोधन में गुरु परंपरा के आध्यात्मिक आयाम एवं वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सच्चा ज्ञान मात्र शैक्षणिक नहीं होता, बल्कि इसमें नैतिक, आध्यात्मिक एवं समग्र मानवीय विकास की क्षमता समाहित होती है।
सत्र में प्रो. शैलेंद्र राज मेहता, उपाध्यक्ष, आईआईएएस ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए वर्तमान शिक्षा प्रणालियों में पारंपरिक ज्ञान के समन्वय पर जोर दिया।
संस्थान सचिव श्री मेहर चंद नेगी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। राष्ट्रीय गान के साथ सत्र का समापन हुआ, जिसने राष्ट्रीय एकता एवं सांस्कृतिक सम्मान का भाव पुनः जागृत किया। सत्र का संचालन संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी श्री अखिलेश पाठक ने किया।
आगामी दो दिनों में यह संगोष्ठी देशभर से आए प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों एवं शिक्षाविदों के साथ गुरु-शिष्य परंपरा के कालजयी ज्ञान पर गहन चर्चा और चिंतन के साथ जारी रहेगी।