कौशल विकास से स्वरोजगार की नई राहें खोल रही प्रदेश सरकार, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम बना सशक्त माध्यम
- अनुसूचित जाति के युवाओं को उच्च शिक्षा व लघु गतिविधियों के लिए सस्ती ब्याज दरों पर ऋण सुविधा
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम वित्तीय सहायता के प्रवाह में सुधार करके पात्र अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों को वित्तीय और विकासात्मक सहायता प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा निगम के माध्यम से सूक्ष्म ऋण योजना, मियादी ऋण व शैक्षणिक ऋण सहित विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं।
स्वरोजगार एवं लघु उद्यम के लिए सस्ती दरों पर ऋण
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के तत्वावधान में निगम द्वारा आय अर्जक लघु गतिविधियों के लिए ऋण योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। सूक्ष्म ऋण योजना में 1.40 लाख रुपए तक की परियोजना लागत पर पात्र लाभार्थी को इस लागत के 90 प्रतिशत यानि 1.25 लाख रुपए की ऋण सुविधा प्रदान की जा रही है। यह ऋण तीन वर्षों की अवधि के लिए 6.5 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध करवाया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त मियादी ऋण योजना के तहत 50 लाख रुपए परियोजना लागत पर पात्र लाभार्थियों को 45 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। पुनर्भुगतान की अवधि 7 वर्ष निर्धारित की गई है और 8 प्रतिशत दर पर ब्याज देय होगा।
उच्च शिक्षा के लिए 40 लाख रुपए तक ऋण सुविधा
निगम के माध्यम से अनुसूचित जाति से संबंधित युवाओं के लिए शैक्षणिक ऋण योजना के तहत 40 लाख रुपए तक अथवा पाठ्यक्रम शुल्क की 90 प्रतिशत राशि के बराबर ऋण देश या विदेश में उच्च शिक्षा के लिए प्रदान किया जा रहा है। पुनर्भुगतान की अवधि 10 वर्ष रखी गई है और इस पर 6.5 प्रतिशत ब्याज देय होगा। नियमित पूर्णकालिक व्यावसायिक या तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए इसके तहत लाभ प्रदान किया जाता है।
यह है पात्रता
इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अनुसूचित जाति से संबंधित लाभार्थी ही पात्र होंगे। इसके लिए परिवार की कुल वार्षिक आय तीन लाख रुपए या इससे कम होनी चाहिए। लाभार्थी हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए। साथ ही वह किसी बैंक अथवा अन्य वित्तीय संस्थान से डिफॉल्टर घोषित नहीं होना चाहिए। लाभार्थी किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से बारहवीं पास होना चाहिए।
यहां मिलेगी उपयोगी जानकारी
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम से संबंधित जानकारी एवं योजनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए https://www.facebook.com/share/1AvesMDpqQ/ लिंक पर विज़िट कर सकते हैं। ई-मेल से mdhpscstdc@rediffmail.com अथवा निगम के सोलन स्थित कार्यालय में दूरभाष संख्या 01792-220671 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है। पात्र युवा निगम की वेबसाइट https://hpscstdc.hp.gov.in/ पर ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।
गरीबी कम करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा निगम
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम के प्रबंधक निदेशक अजय कुमार यादव ने बताया कि निगम कौशल विकास और अन्य अभिनव पहलों के माध्यम से वित्तीय सहायता के प्रवाह में सुधार करके अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के बीच समृद्धि को बढ़ावा देने पर कार्य कर रहा है। विभिन्न एजेंसियों और अन्य विकास भागीदारों के साथ कुशल, उत्तरदायी और सहयोगात्मक तरीके से काम करते हुए पात्र अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के माध्यम से गरीबी को व्यवस्थित रूप से कम करने में अग्रणी उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना निगम का ध्येय है।
वर्ष 1979 में हुई स्थापना
निगम की स्थापना 14 नवंबर, 1979 को "हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति विकास निगम" अधिनियम के तहत की गई थी। प्रारंभ में, इसकी स्थापना विशेष रूप से अनुसूचित जाति के परिवारों की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए की गई थी। वर्ष 1984 में प्रदेश सरकार और भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जनजाति परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का कार्य भी इसी निगम को सौंपने का निर्णय लिया। इसके उपरांत से इन वर्गों के उत्थान में निगम सतत प्रयत्नशील है।