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मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री डॉ. सत्‍य पाल सिंह ने मेन्‍डोजा, अर्जेंटीना में जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया

September 09, 2018 12:28 AM

मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री डॉ. सत्‍य पाल सिंह ने मेन्‍डोजा, अर्जेंटीना में जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया

किसी भी समाज और देश की तरक्‍की के लिए शिक्षा को सर्वोच्‍च

 प्राथमिकता का क्षेत्र होना चाहिए: डॉ. सत्‍य पाल सिंह

      मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री डॉ. सत्‍य पाल सिंह ने 05 और 06 सितम्‍बर, 2018 को मेन्‍डोजा,अर्जेंटीना में आयोजित जी-20 शिक्षा मंत्रियों की और संयुक्‍त मंत्रिस्‍तरीय बैठक में भाग लेने के लिए एक उच्‍चस्‍तरीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्‍व किया। जी-20 के इतिहास में शिक्षा मंत्रियों की यह पहली बैठक थी।

शिक्षा मंत्रियों की बैठक के उद्घाटन के अवसर पर डॉ. सत्‍य पाल सिंह ने जी-20 शिखर सम्‍मेलन में पहली बार शिक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करने के लिए अर्जेंटीना की सराहना की और उसे धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि किसी भी समाज और देश की तरक्‍की के लिए शिक्षा को सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अत: वैश्विक एजेंडा के केन्‍द्र में शिक्षा को रखना सर्वाधिक उपयुक्‍त है।

 डॉ. सिंह ने कहा कि प्राचीन काल से भारत सभ्‍यता और संस्‍कृति का उद्गम स्‍थल रहा है। आधुनिक समय में भारत ने अपने प्राचीन विवेक को भूले बिना शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से तरक्‍की की है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने शिक्षा को अत्‍यधिक महत्‍व दिया है और उनकी पहल के तहत भारत ने अपने विकास की रणनीति तैयार की है जिसमें सुलभता, समानता, गुणवत्‍ता, वहनीयता, जवाबदेही और नियोजन योग्‍य होने की संभावना शामिल है। उन्‍होंने कहा कि शिक्षा बच्‍चों पर केन्द्रित होनी चाहिए ताकि बच्‍चों का सर्वांगीण विकास हो सके और वे सबसे पहले अच्‍छे इंसान तथा बाद में वैश्विक नागरिक बन सकें। इस दर्शन शास्‍त्र को कार्य में बदलने के लिए भारत नई शिक्षा नीति तैयार कर रहा है।

उन्‍होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है जहां 1.53 मिलियन स्‍कूल, 864 विश्‍वविद्यालय हैं और 300 मिलियन से अधिक छात्रों के नाम दर्ज हैं। इतनी बड़ी शिक्षा प्रणाली होने के बावजूद भारत में अभी भी शिक्षा की सुलभता का और विस्‍तार करने की आवश्‍यकता है। डॉ. सिंह ने कहा कि इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए पिछले 4 वर्षों में काफी काम किया गया है। उन्‍होंने मोदी सरकार की अनेक डिजि‍टल पहलों को उजागर किया जिसमें भारत का अपना एमओओसी मंच स्‍वयं शामिल है जो बड़ी संख्‍या में छात्रों की किसी भी समय कहीं भी अध्‍ययन के लिए प्रोत्‍साहित कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों में 1.3 मिलियन विभागों के लिए ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स कराने के लिए 75 विशेष क्षेत्रों में राष्‍ट्रीय संसाधन केन्‍द्रों की‍ स्‍थापना कर अध्‍यापकों के प्रशिक्षणों पर विशेष जोर दिया गया है।

डॉ. सिंह ने उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों के नवोन्‍मेष सूचकांक रैकिंग की विभिन्‍न पहलों, सरकार के सामने मौजूद समस्‍याओं का समाधान निकालने के लिए साफ्टवेयर और हार्डवेयर में स्‍मार्ट इंडिया हैकाथन, युवा स्‍नातक छात्रों द्वारा उद्योग और शिक्षा, डिजाइन सोच और नवोन्‍मेष को बढ़ावा देने के लिए स्‍कूलों और उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों के अनुसंधान पार्कों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं और अंर्तराष्‍ट्रीय सहयोग से संयुक्‍त अनुसंधान परियोजनाओं से एकत्र जनसमूह को अवगत कराया।

उन्‍होंने कहा हमारा मानना है कि शिक्षा प्रणाली न केवल शिक्षा प्रदान करे बल्कि समुदाय की जरूरतों को प्रत्‍यक्ष रूप से पूरा करे। इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए सरकार ने उन्‍नत भारत अभियान की शुरूआत की है जिसके अंतर्गत उच्‍च शिक्षण संस्‍थान नजदीकी गांवों को गोद लिया जा सकता है और उनकी समस्‍याओं का टेक्‍नोलोजी संबंधी समाधान प्रदान कर उनकी मदद की जा सकती है।

डॉ. सिंह ने कहा कि भारत दुनिया की एक बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अपनी भूमिका और जिम्‍मेदारियों को हम पूरी तरह समझते हैं। उन्‍होंने आश्‍वासन दिया कि भारत जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक के एजेंडा को पूरा समर्थन देगा।

भारत की सक्रिय सहायता से जी-20 शिक्षा मंत्रियों के घोषणापत्र 2018 को अंतिम रूप दे दिया गया। (प्रति संल्‍ग्‍न)

दूसरे दिन डॉ. सत्‍य पाल सिंह ने संयुक्‍त मंत्रिस्‍तरीय बैठक को संबोधित किया जिसमें सदस्‍य देशों के शिक्षा और श्रम तथा रोजगार मंत्री शामिल थे। उन्‍होंने कहा कि भारत आबादी की दृष्टि से सुखद स्थिति में है क्‍योंकि इसकी 52जनसंख्‍या 25 वर्ष से कम उम्र की है। हालांकि यह अनोखी तरह की सुखद स्थिति है,साथ ही इसने देश के विकास और प्रगति की दिशा में इसका लाभकारी तरीके से इस्‍तेमाल करने की चुनौती खड़ी की है। इस हकीकत को समझते हुए प्रधानमंत्री ने 2015 में स्किल इंडिया मिशन की शुरूआत की ताकि 2022 तक 400 मिलियन युवाओं को कौशल प्रदान किया जा सके। बड़े पैमाने पर व्‍यावसायिक शिक्षा दी जा रही है। उन्‍होंने कहा कि नेशनल स्किल्‍स क्‍वा‍लीफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्‍यूएफकी शुरूआत की गई है जिसके अंतर्गत अध्‍ययनकर्ता औपचारिकगैर-औपचारिक अथवा अनौपचारिक अध्‍ययन के जरिए किसी भी स्‍तर पर आवश्‍यक क्षमता के लिए प्रमाण पत्र प्राप्‍त कर सकता है।

डॉसिंह ने कहा कि सहयोगपूर्ण रूपरेखा तैयार करने के लिए जी-20 सबसे उपयुक्‍त मंच है जहां विभिन्‍न देशों के साथ एक-दूसरे के कौशल मानकों को साझा किया जा सकता है।

उन्‍होंने भारत की उपलब्धियों, चिंताओं और भविष्‍य की योजनाओं को दर्शाने का अवसर प्रदान करने के लिए अर्जेंटीना सरकार और जी-20 समूह को एक बार फिर धन्‍यवाद दिया। बैठक की समाप्ति पर जी-20 शिक्षा और श्रम तथा रोजगार मंत्रियों का संयुक्‍त घोषणा पत्र 2018 मेंडोजा जारी किया गया।

शिक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान डॉसिंह ने नौ देशों के शिक्षा मंत्रियों के साथ सफल बातचीत की जिसमें इटली के शिक्षा मंत्री श्री लारेंजो फिओरामोंतीजापान के योशीमासा हसामीजर्मनी के प्रोफेसर थॉमस रशेलचीन के डॉडीयू चानयुवानरूस के श्री पवेल जैनकोविचब्रिटेन के श्री थियोडोर एग्‍न्‍यूअमेरिका की सुश्री बेटसी दावोससउदी अरब के श्री अहमद अल ईसाकनाडा की सुश्री टीना ब्‍यूड्री मेलर और विश्‍व बैंक के वरिष्‍ठ निदेशक श्री जेमी सावेद्रा शामिल थे।

श्री सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत की प्रगति की जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि हालांकि भारत के पास पेशकश के लिए बहुत कुछ है, अपने शिक्षा क्षेत्र को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए वह अन्‍य देशों से सीखना चाहता है। डॉसिंह ने अंर्तराष्‍ट्रीय सहयोग के लिए भारत की हाल में की गई पहलों से सदस्‍य देशों को अवगत कराया। उन्‍होंने भारत में अध्‍ययन की विशेषताओं, ज्ञान (ग्‍लोबल इनीशियेटिव फॉर एकेडेमिक कोलेबरेशनऔर स्‍पार्क (स्‍कीम फॉर प्रमोशन ऑफ एकेडेमिक एंड रिसर्च कोलेबरेशनपर प्रकाश डाला। शिक्षा मंत्रियों ने इन सभी योजनाओं में काफी दिलचस्‍पी दिखाई और भारत को पूर्ण सहयोग देने का आश्‍वासन दिया। इटली, चीन, जापान और अमेरिका भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर सहमत हो गए। यह फैसला लिया गया कि भविष्‍य में सहयोग के लिए एक रोड मैप तैयार करने के उद्देश्‍य से आगे बातचीत की जाए। डॉसत्‍यपाल सिंह ने आश्‍वासन दिया कि भारत द्विपक्षीय सहयोग के लिए उनके प्रयासों को पूरा समर्थन प्रदान करेगा।

दोनों बैठकों में सदस्‍य देशों के शिक्षा और श्रम तथा रोजगार मंत्रियों के साथ-साथ विश्‍व बैंक, यूनेस्‍को जैसे अंर्तराष्‍ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।

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