Friday, April 26, 2024

Editorial

किसानों ने खेती की दिशा और तरीकों में बदलाव से बदली तकदीर

March 26, 2022 09:49 PM

एचपी शिवा परियोजना से समृद्ध बने किसान, फलों के लहलहाते बगीचे बयां कर रहे खुशहाली की दास्तान
किसानों ने खेती की दिशा और तरीकों में बदलाव से बदली तकदीर

मंडी, मार्च। हिमाचल सरकार की एचपी शिवा परियोजना (हिमाचल प्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी सिंचाई और मूल्यवर्धन परियोजना) से प्रदेश के किसान समृद्ध बन रहे हैं। फलों के लहलहाते बगीचे किसानों की खुशहाली की ये दास्तान खुद बयां कर रहे हैं। इस परियोजना के तहत मंडी जिले के किसानों ने परंपरागत खेती से आगे बढ़कर किसानी की दिशा और तरीकों में बदलाव लाया है। वे कृषि और बागवानी के क्षेत्र में सरकारी मदद से अपनी अच्छी खासी आमदनी कमा रहे हैं और अपनी सुनहरी तकदीर बना रहे हैं ।
बागवानी विभाग मंडी के उपनिदेशक डॉ. संजय गुप्ता बताते हैं कि मंडी जिले में अभी 8 विकास खंड एचपी शिवा परियोजना में कवर किए गए हैं। इनमें सदर मंडी, सुंदरनगर, द्रंग, गोहर, गोपालपुर, चौंतड़ा, बल्ह और धर्मपुर शामिल हैं। परियोजना में उद्यान विभाग ने किसानों के सहयोग से 99 क्लस्टर बनाए हैं, जिनमें कुल 176 हैक्टेयर भूमि पर उच्च गुणवत्ता के अमरूद, संतरा, लीची, मौसमी और अनार जैसे फलदार पौधे लगाए गए हैं।
क्या है एचपी शिवा परियोजना
एचपी शिवा परियोजना (हिमाचल प्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी सिंचाई और मूल्यवर्धन परियोजना) हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशवासियों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी परियोजना है, जिसका उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के निचले व मध्यम क्षेत्रों के किसानों व बागवानों की आय वृद्धि व आर्थिकी को सुदृढ़ करना है। इस परियोजना के तहत हिमाचल प्रदेश को एक फल राज्य के तौर आगे ले जाने के लिए प्रदेश के निचले व मध्यम क्षेत्रों के सात जिलों के लिये पहले चरण 1688 करोड़ रूपये की धनराशि व्यय की जा रही है। इस परियोजना के माध्यम से सरकार किसानों को उच्च गुणवत्ता युक्त अमरूद, संतरा, लीची व अनार के पौधे निशुल्क मुहैया करवा रही है, साथ ही फसल को आवारा पशुओं तथा जंगली जानवरों से बचाने के लिए जमीन की सोलरयुक्त बाड़बंदी तथा टपक सिंचाई जैसी अन्य तमाम सुविधाएं भी निशुल्क उपलब्ध करवा रही है।
बागवानी में धर्मपुर क्षेत्र की धमक, किसानों के हो रहे ‘वारे-न्यारे’
एचपी शिवा परियोजना में शानदार काम से बागवानी में धर्मपुर क्षेत्र की धमक खूब सुनी जा रही है। पहले ही सीजन में यहां शिवा परियोजना से जुड़े लगभग हर किसान को 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा हुआ है। अभी फलदार पौधे लगाए ढाई साल ही हुए हैं, पर उन्नत नस्ल के पौधों के ये बगीचे अब फलों से लकदक हैं। धर्मपुर में प्रमुख तौर पर मढ़ी, दबरोट, बिंगा, भरतपुर, सकरैण, दतवाड़, स्योह आदि कलस्टर में काम किया जा रहा है।
शिवा परियोजना से लाभ पाने वाले विकास खण्ड धर्मपुर की ग्रांम पंचायत बिंगा के गांव दबरोट के किसान इंद्र सिंह का कहना है कि पहले एक समय था जब कहा जाता था धर्मपुर में बस बैर और खैर लग सकते हैं, आज शिवा परियोजना के तहत यहां अमरूद, संतरे और मौसमी जैसे फलों के बगीचे लहलहा रहे हैं। व्यापारी खेत से ही फसल उठा रहे हैं और लोगों को अपनी फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं।
इंद्र बताते हैं कि उद्यान विभाग ने इस परियोजना के पहले चरण में लगभग 1 हैक्टेयर भूमि का चयन कर वर्ष 2019 में अमरूद की उच्च गुणवत्ता के पौधे लगाए, जिनका प्रबंन्धन नवीनतम वैज्ञानिक तकनीक के साथ किया गया। इन पौधों ने मात्र ढाई साल में फल देना शुरू कर दिया है और स्थानीय बाज़ार में इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं ।
वहीं बिंगा के एक और लाथार्भी किसान मितेश ठाकुर  बताते हैं कि वे अपनी जमीन पर गन्दम व खरीफ की फसल उगाते थे लेकिन फसल नाममात्र की होती थी और मुनाफा की बात नहीं थी। उन्होंने बताया की जहां गन्दम व खरीफ से केवल 2000 से 2500 रूपये की कमाई होती थी, वहीं शिवा परियोजना में एक ही सीजन में 25000 से 30000 रुपये का मुनाफा हुआ है।
आर्थिकी में व्यापक बदलाव लाने में सहायक
उपायुक्त अरिंदम चौधरी का कहना है कि एचपी शिवा परियोजना किसानों की आर्थिकी में व्यापक बदलाव लाने के साथ-साथ बेरोजगार नौजवानों के लिए स्वरोजगार का एक अहम माध्यम साबित हो रही है। बीज से लेकर बाज़ार तक की अवधारणा के आधार पर बागवानी का विकास से अच्छी आमदनी का साधन बना है।
नौकरी मांगने नहीं देने वाले बनें
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि प्रदेश की जय राम सरकार का प्रयास है कि युवा नौकरी मांगने वाले बनने के स्थान पर स्वरोजगार लगा कर नौकरी देने वाले बनें। शिवा परियोजना में अपना रोजगार लगा कर आत्मनिर्भर बनने का सुनहरा अवसर है। इसमें बाड़बंदी से जुड़े कार्यों से लेकर पौधे तक मुफ्त दिये जा रहे हैं। इन सुविधाओं का लाभ लें। जिस तरह शिमला को सेब के लिए जाना जाता है आने वाले समय में हिमाचल के मध्यम और निचले क्षेत्र अमरूद, अनार, संतरा और मौसमी जैसे फलों की देशव्यापी सप्लाई के लिए जाने जाएंगे।

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